जब हम विवाह एवं ज्वेलरी, शादियों में पहने जाने वाले आभूषण और उनका सांस्कृतिक महत्व. इसे कभी‑कभी शादी के गहने भी कहा जाता है, तो यह भारतीय परम्परा और आर्थिक पहलू दोनों को जोड़ता है। आज के बाजार में इस श्रेणी की बात करते समय दो बड़े घटक सामने आते हैं – सोना, प्रमुख धातु जो शादियों में सबसे अधिक उपयोग होती है और शादी की ज्वेलरी, विवाह के अवसर पर खरीदे या गहने. इन दोनों की कीमतें सीधे तौर पर डिजाइन, वजन और शुद्धता से जुड़ी होती हैं, इसलिए जब सोने की कीमतें रिकॉर्ड तले पहुँचती हैं तो शादी की ज्वेलरी में बदलाव अनिवार्य हो जाता है।
रिकॉर्ड सोने की कीमतों के कारण कई परिवार अब 22K के बजाय 18K‑14K, कम शुद्धता वाले लेकिन हल्के और किफायती सोने की अलायमेंस की ओर रुख कर रहे हैं। यह बदलाव सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि डिज़ाइन में भी नई लहर लाता है। हल्की, रोज़मर्रा में पहनी जाने वाली और साथ ही शादी में खास दिखने वाली ज्वेलरी का ट्रेंड बढ़ रहा है। इसका मतलब यह है कि अब कारीगर छोटे बारीक डिज़ाइन, कस्टम एंग्रेज़ी मोती या रंगीन कांच के साथ प्रयोग कर रहे हैं, जिससे ग्राहक को व्यक्तिगत स्पर्श मिल रहा है। इस प्रवाह में किफायती डिज़ाइन, कम बजट में उपलब्ध स्टाइलिश गहने भी एक अहम भूमिका निभा रहे हैं।
आज के भारतीय बाजार में तीन प्रमुख कनेक्शन स्पष्ट दिखते हैं: विवाह एवं ज्वेलरी समेटता है कीमती सोना, जिसे लोग दीर्घकालिक निवेश और पारिवारिक विरासत मानते हैं, डिज़ाइन ट्रेंड्स, जो हल्के 18K‑14K के साथ मिलकर नई शैली बनाते हैं और ग्राहक की अपेक्षाएँ, जो किफायती और व्यक्तिगत दोनों चाहती हैं. यही त्रिकावली आज की शादियों को आकार दे रही है। आप नीचे पढ़ेंगे कैसे विभिन्न ब्रांड, कीमतों का उतार‑चढ़ाव और डिज़ाइन विकल्प इस श्रेणी को प्रभावित कर रहे हैं। इन लेखों में आप कीमतों के ग्राफ, कारीगरों के इंटरव्यू और विशेष संग्रह की झलकियाँ पाएँगे—सब कुछ इस संग्रह के भीतर उपलब्ध है।
रेकार्ड सोने की कीमतों के कारण भारत में शादी की ज्वेलरी 22K से 18K‑14K की ओर मुड़ रही है, जिससे हल्की, किफायती डिज़ाइन पर बढ़ती मांग दिख रही है।
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