नशा सुनते ही कई लोग शराब, ड्रग या धूम्रपान सोचते हैं, लेकिन ये सिर्फ कुछ रूप हैं। नशा वह अवस्था है जहाँ दिमाग़ या शरीर किसी चीज़ के लगातार सेवन से सामान्य नियंत्रण खो देता है। अगर आप या आपका कोई जानने वाला इस लक्षण से जूझ रहा है, तो यहाँ कुछ सरल, रोज़मर्रा की बातें हैं जो मदद कर सकती हैं।
काफी बार तनाव, अकेलापन या ऊब नशे की तरफ ले जाते हैं। युवा वर्ग में पार्टी, दोस्तों के दबाव या ‘फिटनेस’ ट्रेंड (जैसे बुद्धि‑वर्धक पदार्थ) मुख्य कारण हो सकते हैं। बहुत तेज़ काम की रफ़्तार, नींद की कमी और आर्थिक दबाव भी ध्यान भटकाकर दवाओं या शराब की ओर धकेलते हैं।
सामाजिक माहौल भी असर डालता है। अगर घर में शराब पीने की आदत है, तो बच्चे अक्सर इसे सामान्य समझ लेते हैं। इसी कारण कई बार नशा पीढ़ी‑दर‑पीढ़ी चलता है।
शरीर पर असर तुरंत दिखता है – खून की शर्करा घटती‑बढ़ती, दिल की धड़कन तेज़, आंतरिक अंगों को नुकसान। लगातार सेवन से लिवर, फ़ेफड़े या हाइफ़ीस पर स्थायी चोटें बन सकती हैं। दिमाग़ में संज्ञानात्मक क्षमताएँ घटती हैं, ध्यान/याददाश्त प्रभावित होती है और अवसाद या एन्क्ज़ायटी जैसी समस्याएँ बढ़ती हैं।
समाजिक तौर पर, काम‑काज में गिरावट, रिश्तों में तनाव, कानूनी समस्याएँ और आर्थिक परेशानियाँ आम हैं। अक्सर लोग अपने खर्चे को पूरा करने के लिए और भी ज्यादा नशा लेते हैं – यही चक्र बन जाता है।
इन संकेतों को पहचानना सबसे पहला कदम है। अगर घर में लगातार शराब या ड्रग के बोतलें देखी जाती हैं, या कोई अक्सर ‘कम्पनी’ के बहाने देर तक बाहर रहता है, तो यह नशा की चेतावनी हो सकती है।
पहला उपाय है जागरूकता। आप अपनी दिनचर्या में छोटे‑बड़े तनाव के कारण लिखें और देखिए कि कौन‑से ट्रिगर आपके सेवन को बढ़ाते हैं। जब आप समझेंगे कि कौन‑से माहौल या लोग आपको नशे की तरफ ले जाते हैं, तो उनसे दूरी बनाना आसान हो जाता है।
बीएरजैक (बार) या पार्टी में शराब न लें, या केवल एक गिलास तक सीमित रखें। अगर आप पहले से ही समस्या में हैं, तो धीरे‑धीरे सेवन को कम करें – अचानक छोड़ना उल्टा असर कर सकता है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर या काउंसलर की मदद लेना सबसे सुरक्षित तरीका है।
व्यायाम, ध्यान या योग जैसी साधारण बिखराव गतिविधियों से तनाव कम हो सकता है। स्थानीय समूहों या ऑनलाइन समुदायों में जुड़ें जहाँ लोग समान स्थिति से बाहर निकल रहे हैं। उनका अनुभव सुनना और अपना अनुभव साझा करना प्रेरणा देता है।
अगर परिवार में नशा का इतिहास है, तो पेशेवर परामर्श लेना जरूरी है। कई बार चिकित्सा संस्थानों में ‘डिटॉक्स’ प्रोग्राम, काउंसलिंग और फिर से सामाजिक जीवन में शामिल होने के प्लान मिलते हैं। यह योजनाएँ नशे के शारीरिक निर्भरता को घटाने में मदद करती हैं।
साथ ही, अपने करीबी लोगों को भी इस प्रक्रिया में शामिल रखें। सहारा, समझ और बिना जजमेंट के बात करना अक्सर सबसे बड़ा मोटिवेशन बनता है।
नशा का मतलब यह नहीं कि आप पूरी तरह से असहाय हैं। सही जानकारी, छोटे‑छोटे कदम और सही मदद से इसे काबू किया जा सकता है। याद रखिए, बदलाव में थोड़ा समय लग सकता है, पर हर दिन एक नई शुरुआत है।
ब्लॉग पर जो सबसे हंसमुख और अजीब विषय है, वह है - "आपके दोस्त नशे में होने पर कैसा व्यवहार करते हैं?" ये अनुभव मेरे दोस्तों की नशे की स्थिति को जानने का एक मजेदार तरीका था। वे आमतौर पर ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे कि वे दुनिया के सबसे बड़े फिलॉसोफर हों, हालांकि उनकी बातें अधिकतर अस्पष्ट होती हैं। फिर भी, उनके विचित्र और हास्यास्पद व्यवहार से हमेशा आनंद आता है। तो दोस्तों, अगर आपके दोस्त नशे में हैं, तो बस हंसते रहिए और उनके बीलकुल अनोखे व्यवहार का आनंद लीजिए।
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