जब आप टेलीविजन देखते हैं, फ़ेसबुक स्क्रॉल करते हैं या अखबार पढ़ते हैं, तो आप सिर्फ़ समाचार नहीं ले रहे होते। आप एक ऐसी शक्ति से जुड़ रहे होते हैं जो आपके विचारों, ख़रीदारी और यहाँ‑तक कि वोटिंग तक बदल सकती है। यही है मीडिया की भूमिका – जानकारी पहुँचाना, राय बनाना और अक्सर लोगों को एक दिशा देना।
उदाहरण के लिये, जब आईसीसी महिला टी20 विश्व कप 2026 क्वालिफायर की खबर आई, तो मीडिया ने न सिर्फ़ टूर्नामेंट का प्रीमियम बघारा, बल्कि नेपाल की मेजबानी, टीमों की तैयारी और खेल के महत्व को भी उजागर किया। ऐसी रिपोर्ट्स से दर्शकों में क्रिकेट के प्रति उत्साह बढ़ता है, एथलीट्स को समर्थन मिलता है और स्पॉन्सर्स को निवेश करने का इशारा मिलता है।
क़ानूनी खबरें अक्सर जटिल लगती हैं, पर मीडिया उन्हें आसान बनाकर जनता तक पहुंचाता है। जैसे कि "भारत में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका कौन दायर कर सकता है?" वाली लेख में जटिल कानूनी प्रक्रिया को सादे अंदाज़ में बताया गया, जिससे आम आदमी भी समझ सके कि वह या उसका कोई परिचित कैसे केस फ़ाइल कर सकता है। जब ऐसी जानकारी इंटरनेट पर फैलती है, तो लोग अपने अधिकारों को जान पाते हैं और जरूरत पड़ने पर सही कदम उठा सकते हैं।
इसी तरह, जब "सुप्रीम कोर्ट पर बंगाल में राष्ट्रपति के नियम के लिए आवेदन" जैसी खबर आती है, तो मीडिया यह स्पष्ट करती है कि यह प्रक्रिया क्यों जरूरी है और इसमें कौन‑कौन से पक्ष शामिल हैं। इससे जनता को सरकारी कार्यवाही में पारदर्शिता का भरोसा मिलता है।
मीडिया सिर्फ़ बड़े‑बड़े मुद्दों तक सीमित नहीं। यह रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी गहरा असर डालता है। "आपके दोस्त नशे में होने पर कैसा व्यवहार करते हैं?" जैसा हल्का‑फुल्का लेख पढ़ते‑पढ़ते लोग हँसते‑हँसते यह समझते हैं कि सामाजिक समस्याओं को कैसे संभालें, बिना गंभीरता खोए।
डैलस में भारतीयों के जीवन के बारे में लिखा लेख दिखाता है कि विदेश में कस्बों की जानकारी कैसे मीडिया द्वारा फैलती है, जिससे विदेश में रहने वाले भारतीयों को घर जैसा महसूस हो। इसी तरह, "एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में क्या अंतर है?" जैसी तुलना एयर्स के बीच का अंतर स्पष्ट करती है, जिससे यात्रियों का निर्णय आसान हो जाता है।
सबसे ज़रूरी बात यह है कि मीडिया आपका मित्र बन सकता है, अगर आप सही स्रोत चुनें और सूचना को जाँच‑परख कर लें। सही जानकारी से आप बेहतर चुनाव कर सकते हैं – चाहे वह खेल का मैच देखना हो, न्यायालय में अपील दर्ज करना हो या अपनी अगली यात्रा बुक करना। यही मीडिया की असली भूमिका है: आपका मार्गदर्शक बनना।
मेरा विचार है कि भारतीय समाचार मीडिया का विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा रहा है। कई बार उनकी रिपोर्टिंग और समाचार प्रसारण में तथ्यों का अभाव और गलत प्रस्तुतिकरण देखने को मिलता है। मीडिया के कुछ हिस्सों ने अपनी निष्पक्षता और न्यायपूर्ण दृष्टिकोण को खो दिया है, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगते हैं। फिर भी, कुछ समाचार संस्थाएं अपने उच्च मानदंडों और निष्पक्ष रिपोर्टिंग को बनाए रखने में सफल रही हैं। इसलिए, हमें सोचना होगा कि हम जिस समाचार मीडिया का उपयोग कर रहे हैं, वह कितना विश्वसनीय है।
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