जब हम प्राचीन भारत की बात करते हैं, तो अक्सर राजाओं, युद्धों या मंदिरों की बात सुनते हैं। मगर सोचा है कि उस समय के बच्चे कैसे जीते थे? चलिए, सरल शब्दों में समझते हैं कि प्राचीन युग में बच्चों का दिन‑दिन कैसे चलता था।
प्राचीन घरों में बड़े परिवार होते थे—दादा‑दादी, माता‑पिता, बहन‑भाई और कभी‑कभी चचेरे भाई भी। बच्चों को बहुत जल्दी काम‑काज में शामिल किया जाता था। घर के छोटे‑छोटे काम, जैसे धान धोना, लकड़ी लाना या बर्तन साफ करना, उनके लिए रोज़ की ज़िम्मेदारी बन जाती थी। इससे उन्हें मेहनत और जिम्मेदारी की समझ मिलने में मदद मिलती थी।
शिक्षा का मतलब केवल पढ़ना‑लिखना नहीं था। बच्चों को गिटार (वायलिन), संगीत, नृत्य और शिल्प सीखाया जाता था। बेड़ों (गृहस्थ) में हम भरोसा करते थे कि बच्चे अपने दादियों‑दायादियों से व्यंजन बनाना और खेती‑बाड़ी के काम सीखेंगे। कुछ बच्चों को गुरुकुल या आश्रम में पढ़ाइयों के लिए भेजा जाता था, जहाँ वे वेद, उपनिषद और श्लोक सीखते थे। इससे उनका दिमाग तेज़ होता और भविष्य में उनका काम आसान बनता।
बच्चों को खेल भी बहुत पसंद था। कंबोडिया (कबड्डी), लुड़ (लुड़) और बॉल जैसी खेलें शाम के समय या त्यौहारों में खेली जाती थीं। ये खेल शारीरिक ताकत, टीमवर्क और रणनीति सिखाते थे।
धर्म और रीति‑रिवाज़ भी उनके जीवन में महत्वपूर्ण थे। हर साल होने वाले त्यौहार जैसे दिवाली, होली और पूरम का आयोजन बच्चों को सामाजिक जुड़ाव देता था। वे दीया जलाते, पूजा‑पाठ में मदद करते और बड़े लोगों के साथ मिलकर मिठाइयाँ बनाते। इससे उनका नैतिक विकास भी होता था।
बच्चों को अक्सर छोटा‑छोटा व्यापार करने का मौका भी मिलता था। बाजार में फल‑सब्ज़ी बेचने, धूपिया से धूप का तेल खरीदने या जूते बनाने वाले के पास मदद करने से उन्हें पैसे की समझ आती थी। इस तरह का हल्का‑फुल्का काम उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भरता सिखाता था।
इन सब चीज़ों का एक बड़ा फ़ायदा यह था कि बच्चे जल्दी बड़ी जिम्मेदारियों को संभालते थे। वे परिवार की नींव को सुदृढ़ करने में मददगार होते, और समाज में उनका एक विशेष स्थान होता।
अगर आप आज़ादी के बाद के बच्चों की तुलना में देखें, तो प्राचीन बच्चों का जीवन काफी अलग था, पर उनमें भी सीखने‑समझने की प्यास और मेहनत का जज्बा था। इन कहानियों को पढ़कर हम अपने इतिहास को समझते हैं और आज के बच्चों के विकास में नई दिशा खोजते हैं।
प्राचीन युग में भारतीय बच्चों की जिंदगी अत्यंत सुंदर और समृद्ध थी। वे नौकरी के लिए अपनी उम्र को हरेक काम के लिए उपयोग करते थे। प्राचीन युग में बच्चों को ज्ञान और सीखने के लिए अत्यंत समर्पित था। वे प्राचीन व्यापारी व्यवस्था से अधिकतर समय में अपने परिवार की नींव को सहेजने के लिए जुट जाते थे। प्राचीन युग में बच्चों के लिए व्यवसाय और आर्थिक सुधार की सुविधा उपलब्ध थी। वे अपने जीवन में अत्यंत कठिन परिश्रम और प्रतिस्पर्धा को सामना करते थे।
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