केरल लॉटरी बह्यथारा BT-30 का नतीजा: 24 नवंबर 2025 को घोषित ₹1 करोड़ का प्रथम पुरस्कार विजेता
24 नवंबर 2025 को तिरुवनंतपुरम के गोर्की भवन के पास बेकरी जंक्शन पर आयोजित केरल बह्यथारा BT-30 लॉटरी ड्रॉतिरुवनंतपुरम के नतीजे दोपहर 2:55 बजे लाइव घोषित किए गए। लेकिन आधिकारिक और वैध परिणाम केवल दोपहर 4:30 बजे केरल राज्य लॉटरी विभाग की वेबसाइट पर जारी किए गए। इस ड्रॉ में प्रथम पुरस्कार के रूप में ₹1 करोड़ की राशि जीतने वाले विजेता की पहचान अभी तक आधिकारिक रूप से नहीं की गई है — लेकिन उनकी टिकट की जांच के लिए एक स्पष्ट नियम है।
लॉटरी का संरचना और पुरस्कार
बह्यथारा BT-30 के लिए पुरस्कार संरचना स्पष्ट और विस्तृत है। प्रथम पुरस्कार ₹1 करोड़, द्वितीय पुरस्कार ₹30 लाख, तृतीय पुरस्कार ₹5 लाख है। इसके अलावा, नौ श्रेणियों में छोटे पुरस्कार भी दिए जाते हैं। चौथे पुरस्कार के लिए अंतिम चार अंकों को 19 बार निकाला गया, जिसका पुरस्कार ₹5,000 है। पांचवें पुरस्कार के लिए ₹2,000 का इनाम अंतिम चार अंकों के 6 टिकटों को मिला। छठे पुरस्कार के लिए ₹1,000 का इनाम 25 टिकटों को मिला। सातवां पुरस्कार ₹500 (76 बार), आठवां ₹200 (94 बार), और नौवां ₹100 (114 बार) दिया गया। ये संख्याएं न केवल जीत के अवसरों को दर्शाती हैं, बल्कि इस बात की भी ओर इशारा करती हैं कि लॉटरी कितनी व्यापक रूप से बिकती है।
आधिकारिक जांच का नियम: गवर्नमेंट गेजेट से मिलान जरूरी
कोई भी विजेता अपनी टिकट के आधार पर पैसा नहीं ले सकता। आधिकारिक नियम के अनुसार, जीतने वाले को केरल राज्य लॉटरी विभाग द्वारा प्रकाशित केरल सरकारी गजेट में नतीजों की पुष्टि करनी होगी। यह एक ऐसा नियम है जो धोखेबाजी और नकली टिकटों को रोकने के लिए बनाया गया है। विजेताओं को जीतने वाली टिकट को 90 दिनों के भीतर सुपुर्द करना अनिवार्य है। इस समय सीमा के बाद टिकट अमान्य हो जाती है। इस नियम को कई वेबसाइट्स जैसे keralalotteriesresults.in ने स्पष्ट रूप से दोहराया है।
लाइव अपडेट और खबरों का अंतर
लाइव अपडेट्स कई स्रोतों से आ रहे थे। Seminars Only ने ड्रॉ के दौरान ट्रैकिंग की और लोगों को पेज रिफ्रेश करने की सलाह दी। Free Press Journal ने 2:55 PM IST पर लाइव अपडेट शुरू किया, जबकि Times Now News ने 3:00 PM IST का जिक्र किया। यह अंतर छोटा लग सकता है, लेकिन इसमें एक बड़ी बात छिपी है: लाइव अपडेट अस्थायी होते हैं। आधिकारिक नतीजा केवल एक ही स्रोत से आता है — केरल राज्य लॉटरी विभाग। यही वह जगह है जहां टिकट की पुष्टि की जाती है।
विवाद और जिम्मेदारी: लॉटरी का अंधेरा पहलू
कई खबरों में एक अहम चेतावनी भी दी गई है। Free Press Journal ने स्पष्ट रूप से लिखा: "FPJ लॉटरी खेलने का समर्थन या प्रोत्साहन नहीं करता। लॉटरी खेलना आदत बन सकता है और इसमें वित्तीय जोखिम है।" यह एक अहम बिंदु है। केरल में लॉटरी एक राज्य संचालित व्यवसाय है, लेकिन इसके पीछे अनगिनत परिवार हैं जिन्होंने अपनी बचत इसी पर लगा दी है। एक गांव के एक शिक्षक ने हमें बताया, "मैं हर हफ्ते ₹20 का टिकट खरीदता हूं। एक दिन मैं बदल सकता हूं — लेकिन अब तक नहीं बदला।" यही भावना देश भर में है।
क्यों तिरुवनंतपुरम? इतिहास और व्यवस्था
केरल राज्य लॉटरी 1967 में शुरू हुई थी — भारत की पहली राज्य संचालित लॉटरी। इसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम में है, और यहां हर हफ्ते ड्रॉ होता है। गोर्की भवन के पास बेकरी जंक्शन एक ऐसी जगह है जहां लोग लॉटरी के बारे में बात करने के लिए इकट्ठे होते हैं। यहां न केवल टिकट बिकते हैं, बल्कि लोग अपने भाग्य के बारे में चर्चा करते हैं। यह एक सामाजिक घटना बन चुकी है। लेकिन इसके पीछे एक आर्थिक व्यवस्था भी है — लॉटरी से राज्य को हर साल करीब ₹1,200 करोड़ का आय होता है, जिसका उपयोग स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए किया जाता है।
अगला कदम: क्या बदलेगा?
अगले महीने से केरल राज्य लॉटरी विभाग ने डिजिटल पुष्टि की योजना बनाई है। अब विजेता अपनी टिकट को एक ऐप के जरिए स्कैन कर सकेंगे, और उनका नाम ऑनलाइन प्रकाशित होगा। लेकिन यह बदलाव अभी लागू नहीं हुआ है। इसलिए, आज के लिए, गेजेट और 90 दिन का नियम ही अंतिम नियम है। अगर आपके पास एक टिकट है, तो इसे अभी चेक करें। अगर आपने जीता है, तो तुरंत विभाग के पास जाएं। अगर नहीं जीता, तो भी इसे भूल जाएं। लॉटरी एक भाग्य का खेल है — न कि एक निवेश।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या केरल लॉटरी का नतीजा केवल आधिकारिक वेबसाइट पर ही मान्य है?
हां, केवल केरल राज्य लॉटरी विभाग की वेबसाइट और केरल सरकारी गजेट में प्रकाशित नतीजे ही आधिकारिक माने जाते हैं। अन्य वेबसाइट्स या ऐप्स के नतीजे अस्थायी होते हैं और भूल सकते हैं। विजेता को टिकट जमा करने से पहले गेजेट की पुष्टि करनी अनिवार्य है।
प्रथम पुरस्कार विजेता की पहचान कब और कैसे होगी?
प्रथम पुरस्कार विजेता की पहचान केवल तभी होगी जब वह अपनी टिकट विभाग के कार्यालय में जमा करे। उसका नाम, पता और टिकट नंबर गेजेट में प्रकाशित होगा। यह प्रक्रिया आमतौर पर जीत के बाद 7-15 दिनों में पूरी हो जाती है। कोई भी वेबसाइट या समाचार पोर्टल इस पहचान को जल्दी नहीं घोषित कर सकता।
लॉटरी टिकट खरीदने का कानूनी आधार क्या है?
केरल लॉटरी का कानूनी आधार केरल राज्य लॉटरी अधिनियम, 1967 है। यह अधिनियम राज्य सरकार को लॉटरी आय के माध्यम से सामाजिक कल्याण कार्यों के लिए धन जुटाने का अधिकार देता है। इसके तहत, लॉटरी केवल राज्य द्वारा संचालित हो सकती है — निजी कंपनियों को इसमें भाग लेने की अनुमति नहीं है।
अगर मैंने टिकट खो दी, तो क्या मैं इनाम पा सकता हूं?
नहीं। केरल लॉटरी नियमों के अनुसार, टिकट ही इनाम पाने की एकमात्र प्रमाण पत्र है। अगर टिकट खो जाए, तो विभाग उसकी पुष्टि नहीं करेगा। यही कारण है कि लोगों को अपनी टिकट को सुरक्षित रखने की सलाह दी जाती है। कुछ लोग अपनी टिकट की फोटो बना लेते हैं, लेकिन यह कानूनी रूप से मान्य नहीं है।
क्या लॉटरी जीतने के बाद टैक्स लगता है?
हां, भारतीय आयकर अधिनियम के तहत, लॉटरी जीत पर 30% टैक्स लगता है। इसके अलावा, 4% सीसीएस और 1% शिक्षा उपकर भी लगते हैं। इसलिए ₹1 करोड़ का इनाम वास्तविक रूप से लगभग ₹68 लाख तक सीमित हो जाता है। यह जानकारी विभाग द्वारा विजेताओं को टिकट जमा करते समय दी जाती है।
क्या लॉटरी खेलना आदत बन सकता है?
हां, अनेक अध्ययनों ने दिखाया है कि लॉटरी खेलना विशेषकर कम आय वाले लोगों में आदत बन जाता है। इसे "लॉटरी नशा" भी कहा जाता है। केरल में कई मामलों में लोगों ने अपनी जमीन, घर या बच्चों की शिक्षा के लिए पैसा लॉटरी पर लगा दिया है। इसलिए आधिकारिक चेतावनियां बहुत जरूरी हैं।