हर रोज़ हम टेलीविज़न, ऑनलाइन पोर्टल या सोशल मीडिया से खबरें लेकर आते हैं। लेकिन क्या हमें यकीन है कि जो सुन रहे हैं, वह सही है? अक्सर कुछ रिपोर्ट में तथ्य खेद या गलत प्रस्तुतिकरण दिखते हैं, जिससे भरोसा टूट जाता है। इस लेख में हम देखते हैं कि भारतीय मीडिया कहाँ तक भरोसेमंद है और किन बातों से उसकी विश्वसनीयता बढ़ सकती है।
मीडिया का काम सिर्फ खबर देना नहीं, बल्कि जनमत को आकार देना भी है। जब प्रेस सही जानकारी देता है तो समाज में सकारात्मक बदलाव आता है। पर आजकल कई चैनल, अखबार और वेबसाइटें विज्ञापन या राजनैतिक दबाव से प्रभावित हो रही हैं। इससे रिपोर्टिंग में पक्षपात दिखता है, जैसे कुछ मुद्दों को बढ़ा‑चढ़ा कर पेश करना या दूसरों को छोड़ देना।
एक और समस्या है तेज़ी से खबर निकालने की चाह। कुछ बार जाँच‑परख को छोड़कर ही कहानी चलती है, जिससे बाद में सुधार या माफी की ज़रूरत पड़ती है। यही कारण है कि दर्शकों में भरोसे की कमी दिखती है।
पहला कदम है तथ्यों की दोहरी जाँच। चाहे डिजिटल हो या प्रिंट, रिपोर्ट को प्राथमिक स्रोत से तुलना करना चाहिए। दूसरी बात, स्रोतों का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए, ताकि पाठक कहां से आया है, समझ सके।
तीसरा, विविधता लाना ज़रूरी है। एक ही दृष्टिकोण से कई बार रिपोर्ट बनती है, जिससे असंतुलन पैदा होता है। विभिन्न राय, विशेषज्ञों की आवाज़ और स्थानीय रिपोर्टिंग को मिलाकर एक संतुलित तस्वीर मिलती है।
चौथा, मीडिया संस्थाएँ स्वयं भी आत्म‑निरीक्षण करें। अगर कोई गलती हो, तो उसे तुरंत सुधारें और सार्वजनिक रूप से बताएं। इस तरह दर्शकों को पता चलता है कि वे भरोसेमंद हैं और गलतियों को सुधारने को तैयार हैं।
अंत में, हमें खुद भी सजग रहना चाहिए। हर खबर को सीधे भरोसा नहीं करना चाहिए, बल्कि उसकी जाँच‑परख करनी चाहिए। सोशल मीडिया पर शेयर करने से पहले दो‑तीन विश्वसनीय स्रोत देखें, क्योंकि यह हमारे जानकारी के जाल को साफ़ रखता है।
समाचार और मीडिया विमर्श का उद्देश्य सिर्फ आलोचना नहीं, बल्कि सुधार की राह दिखाना है। जब मीडिया अपनी जिम्मेदारी समझेगा और आप भी समझदारी से चयन करेंगे, तो हम सब मिलकर एक भरोसेमंद सूचना माहौल बना सकते हैं।
मेरा विचार है कि भारतीय समाचार मीडिया का विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा रहा है। कई बार उनकी रिपोर्टिंग और समाचार प्रसारण में तथ्यों का अभाव और गलत प्रस्तुतिकरण देखने को मिलता है। मीडिया के कुछ हिस्सों ने अपनी निष्पक्षता और न्यायपूर्ण दृष्टिकोण को खो दिया है, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगते हैं। फिर भी, कुछ समाचार संस्थाएं अपने उच्च मानदंडों और निष्पक्ष रिपोर्टिंग को बनाए रखने में सफल रही हैं। इसलिए, हमें सोचना होगा कि हम जिस समाचार मीडिया का उपयोग कर रहे हैं, वह कितना विश्वसनीय है।
आगे पढ़ें